skip to main
|
skip to sidebar
Chhutpan ki Kavitayen
Wednesday, October 31, 2007
लाला जी ने केला खाया
लाला जी ने केला खाया
केला खा के मुँह बिचाकाया
मुँह बिचका कर कदम बढाया
कदम के नीचे छिलका आया
लाला जी गिरे धडाम
मुँह से निकला हाय राम, हाय राम.
1 comment:
अनामिका
said...
This comment has been removed by the author.
March 9, 2010 at 10:06 PM
Post a Comment
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
▼
2007
(2)
▼
October
(2)
लाला जी ने केला खाया
छुटपन की कविताएँ
About Me
Vibha Rani
View my complete profile
1 comment:
Post a Comment